Wednesday, July 26, 2006

जीवन का लक्ष्य क्या है

जीवन का लक्ष्य क्या है, यह जानना जरूरी है।

बलराम बोस श्री रामकृष्ण परमहंस के अति प्रिय गृहस्थ भक्त थे। कलकत्ता में उनका एक घर भी था। गुरूदेव (श्री रामकृष्ण) एक दिन उनके घर आए हुए थे। उस समय वहां पर नरेन्द्र, भवनाथ आदि लोग थे। नरेन्द्र अस्वस्थ थे, फिर भी गुरूदेव ने उन्हें कुछ भक्तिगीत गाने को कहा। नरेन्द्र ने गाने गाए। उसके बाद गुरूदेव ने पूछा “राखाल कहां है?” उन लोगों ने जवाब दिया कि वो सो रहा है। तुरन्त गुरूदेव ने उनसे कहा “तुम लोगों को एक कहानी सुनाऊंगा”। यह बोलकर उन्होंने ये कहानी सुनाई।

एक गांव में श्रीमद भागवत की प्रदर्शनी होने वाली थी। ये जानकर एक आदमी उस प्रदर्शनी को देखने जाने के लिए तैयार हुआ। वहां पर जमीन पर बैठना पड़ेगा, यह सोचकर अपने साथ एक बिछौना लेकर गया। लेकिन वहां जाने के बाद उसे पता लगा कि भागवत शुरू होने में अभी बहुत देर लगेगी। इसलिए वह बिछौने को बिछा कर उस पर लेट गया। वह ऐसे लेटा ही था कि गहरी नीन्द में डूब गया। जब वह नींद से उठा तो उसने देखा कि भागवत की प्रदर्शनी तो खत्म भी हो गई और जो लोग प्रदर्शनी देखने आए थे वो अपने घर भी पहुंच गए। वह भी अपनी आंखें मल कर अपना बिछौना ले कर वापिस चला आया।

इसी तरह अपने जीवन का लक्ष्य जाने बिना समय को व्यर्थ करने वालों के जीवन का अन्त निराशा से ही होता है।